विश्व प्रसिद्ध वियतनामी बौद्ध गुरु और माइंडफुलनेस के पितामह कहे जाने वाले थिच न्हात हान इस मेडिटेशन के बड़े प्रचारक थे। उनका मानना है कि धरती पर पड़ने वाले हर कदम के साथ व्यक्ति का शरीर और दिमाग आपस में जुड़ा होना चाहिए। इसके ये तीन स्टेप हैं
एक गहरी सांस लें। अब अपना ध्यान उस स्थान पर केंद्रित करें जहां से आप चलना शुरू करने वाले हैं।
• चलते समय सांसों और कदमों पर ध्यान लगाएं। धीमी गति से और आराम से चलें। चेहरे पर हल्की सी मुस्कान रखें।
• हर कदम पर सांस लें और सांस छोड़ें। जब पैर जमीन पर पड़े तो उसे महसूस करें। सांस लेते और छोड़ते समय कुल कदमों को भी गिन सकते हैं। उद्देश्य कदमों और सांसों के बीच कनेक्शन स्थापित करना है।
फायदे : संतुलन बढ़ता है। नींद अच्छी आती है। ब्लड शुगर का स्तर और ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है। अवसाद दूर करने में मददगार
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